चाहत रास न आयी...

June 13, 2018
छोंड़ गए हमको वो अकेले ही राहों में,  चल दिए रहने वो गैर की पनाहों में,  शायद मेरी चाहत उन्हें रास नहीं आयी,  तभी तो सिमट गए वो औरों की बाँह...
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जुस्तजू का सिला...

June 12, 2018
हमें अपने घर से चले हुए, सरे राह उमर गुजर गई, न कोई जुस्तजू का सिला मिला, न सफर का हक ही अदा हुआ।
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बेरुखी की इन्तेहाँ... बेरुखी की इन्तेहाँ... Reviewed by tech on June 11, 2018 Rating: 5

दरिया का नजारा...

June 10, 2018
बहुत लहरों को पकड़ा डूबने वाले के हाथों ने,  यही बस एक दरिया का नजारा याद रहता है,  मैं किस तेजी से जिन्दा हूँ मैं ये तो भूल जाता हूँ,  नही...
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आँसू निकल पड़े...

June 09, 2018
इतना तो ज़िंदगी में, न किसी की खलल पड़े,  हँसने से हो सुकून, न रोने से कल पड़े,  मुद्दत के बाद उसने, जो की लुत्फ़ की निगाह,  जी खुश तो हो गय...
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तल्ख़ जवाबे वफ़ा...

June 08, 2018
ऐसा तल्ख़ जवाबे-वफ़ा पहली ही दफा मिला, हम इस के बाद फिर कोई अरमां न कर सके।
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रास्ते तबाही के...

June 07, 2018
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हमने,  कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने,  हमें मालूम है क्या चीज़ है मोहब्बत यारो,  घर अपना जला कर किये...
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